अनालोच्य व्ययं कर्ता चानाथ: कलहप्रिय:। आर्त: स्त्रीहसर्वक्षेत्रेषु नर: शीघ्रं विनश्यति।।
आय व्यय में संतुलन ना रखने वाला
आचार्य चाणक्य ने बताया था कि जो व्यक्ति अगर अपने जीवन में सफलता की कामना करता है तो उसे अपने जीवन में आय और व्यय पर नियंत्रण रखना चाहिए | जो व्यक्ति अपनी आय से अधिक व्यय करता है वह आगे चलकर अपने भविष्य को गहरे गर्त की ओर ले जाता है |
अनावश्यक लड़ने वाला
आचार्य चाणक्य ने बताया था कि जो इंसान बात बात पर लोगो से झगड़ा करता है, वह खुद लोगो को अपने से दूर करने लगता है, ऐसे इंसान से लोग दूर ही रहना पसंद करते है, ऐसा इंसान खुद बर्बादी की ओर अग्रसर हो जाता है | ऐसे लोग सदैव जिंदगी में अकेले रह जाते है |
स्त्रियों के पीछे भागने वाला
श्लोक में चाणक्य ने उल्लेख किया था कि जो इंसान हमेशा स्त्रीयो के पीछे भागता है और स्त्रियों के पीछे अपना सबकुछ लुटा देता है ऐसे इंसान का जीना ही व्यर्थ है | ऐसे व्यक्ति को किसी शत्रु की आवश्यकता नहीं होती है ये खुद ही अपने जीवन को बर्बाद कर लेते है |
धैर्य ना रखने वाला
आचार्य ने धैर्य को सफलता का सबसे बड़ा सूत्र कहा था, उन्होंने कहा था कि जीवन में सफल होने के लिए धैर्य का होना बहुत जरुरी है, जो इंसान अपने जीवन में किसी भी काम में धैर्य नहीं रखता है वह हमेशा सफलता प्राप्त करने से पीछे रह जाता है | जिस व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त नहीं होती है, उसका भविष्य अंधकार में ही रहता है |